Monday 15 December 2014

आंवला से रोगों का उपचार

आंवला रस का प्रयोग एलोविरा के साथ किया जाता हो तो इसका प्रभाव और गुण और बढ़ जाता है.रोजाना सुबह खाली पेट ३० एमएल एलोविरा रस और १५ एमएल आंवला रस १२० एमएल पानी में मिलाकर लेने से रोजाना पेट साफ रहता है कब्ज नहीं होती है और एसीडिटी जड़ से खत्म हो जाती है।
http://jkhealthworld.com/hindi/आंवला


जिन्हे सर्दी जुखाम की समस्या हमेशा रहती हो वो सिर्फ ५ एमएल आंवले के रस का प्रयोग करें.आंवला का सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है, इसके साथ ही किडनी,त्वचा और बालों को भी बहुत लाभ पहुँचता है।
नेत्र ज्योति बढ़ाने के साथ-साथ आंवला दाह, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की चमत्कारी अौषधीय शक्ति से भरपूर है।
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हिचकी के लिए आंवला, कैथ का गूदा, छोटी पीपर का चूर्ण, शहद से चटाएं तो हिचकियां मिट जाएंगी।
अजीर्ण रोग में ताजा आंवला, अदरक, हरा धनिया मिलाकर चटनी बनावें। इसमें नमक, काला नमक, हींग, जीरा, काली मिर्च मिला चटावें। डकारें आएंगी, भूख खुलेगी, हाजमा बढ़ेगा।
स्त्रियों का बहुमूत्र (सोमरोग) में आंवले का रस, पका हुआ केले का गूदा, शहद व मिश्री चारों मिलाकर चटाएं।
मूत्र कष्ट होने पर आंवले का 25 ग्राम ताजा रस, छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण बुरक कर पिलाएं। मूत्र आने लगेगा।
मुंह के छाले और घाव में आंवले के पत्तों के काढे से दिन में 2 से 3 बार कुल्ले कराएं। 


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