Saturday 29 November 2014

आध्‍यात्मिक जीवनशैली

अध्‍यात्‍म क्‍या है इसकी परिभाषा हर किसी के लिए अलग हो सकता है। कोई ईश्‍वरीय भक्ति को अध्‍यात्‍म का रूप मानता है, तो किसी के लिए सेवा भाव ही वास्‍तविक अध्‍यात्‍म है। लेकिन अधिकांश लोग धार्मिक स्‍थल पर जाने और पूजा पाठ करने को ही अध्‍यात्‍म मानते हैं।
लेकिन, क्‍या वास्‍तव में अध्‍यात्‍म वही है, जैसाकि प्रचलित परंपराओं द्वारा स्‍थापित किया गया है। शायद नहीं। अध्‍यात्‍म बहुत विस्‍तारित विषय है। इसे केवल धर्म और पूजा-पद्धति के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये। कई लोगों का मानना है कि आप धार्मिक हुए बिना भी आध्‍यात्मिक हो सकते हैं। धार्मिक व्‍यक्ति हमेशा धर्म से जुड़ी सामान्‍य परंपराओं और मान्‍यतओं का निर्वहन करता है, लेकिन आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं होता।
यह भी संभव है कि आपको यह ज्ञात ही न हो कि वास्‍तव में आप आध्‍यात्मिक हैं या नहीं। और यह भी संभव है कि हम इसके लिए कुछ प्रेरणा चाहते हों। चलिये जानने का प्रयास करते हैं कि वास्‍तव में आध्‍यात्मिक जीवनशैली किस प्रकार होती है।
कोई भी आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति न तो स्‍वयं को और न ही दूसरों को जज करता है। आध्‍यात्मिक यात्रा तभी शुरू होती है जब आप स्‍वयं व अन्‍य लोगों के बारे में कोई भी निर्णयात्‍मक रवैया करने से दूर हो जाते हैं। वे दूसरों को न तो कमतर ठहराते हैं, और न ही उनके बारे में बुरा बोलते हैं। इसके स्‍थान पर वे लोगों के बारे में अच्‍छी बातें बोलते हैं और प्रेम ही फैलाते हैं। अगर सीधे शब्‍दों में कहें तो आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति नित्‍य-प्रतिदिन अपने व्‍यवहार में दयालुता का भाव उत्‍पन्‍न करने का प्रयास करता है।
दुनिया को बेहतर बनाने का प्रयास
अध्‍यात्‍मवाद का सकारात्‍मकता से सेीधा संबंध है। जब आप कोई सकारात्‍मक बदलाव करने का प्रयास करते हैं, तो वह भी एक प्रकार की आध्‍यात्मिकता ही है। आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति के लिए मानवता ही सबसे बड़ा धर्म होता है। वह मानवता के लिए ही प्रयास करता है। वे समाज के उत्‍थान और सहायता के लिए कई प्रकार के कार्य करता है। वह स्‍वयंसेवक के तौर पर काम करता है, कभी दान करता है, अनाथ बच्‍चों को गोद लेता है। यानी वह कुछ न कुछ ऐसा काम करता है, जिससे वह समाज की भलाई में योगदान दे सके।
खुद से करें प्‍यार
आध्‍यात्मिक लोग मानते हैं कि प्रेम की शुरुआत उनके भीतर से होती है। वे स्‍वयं से प्रेम करते हैं और मानते हैं कि दूसरों से प्‍यार करना भी जरूरी है। वे अपने शरीर और आत्‍म का खयाल रखते हैं। इसके लिए वे संतुलित आहार और व्‍यायाम अपनाते हैं। इसके अलावा वे स्‍वयं की आत्‍मिक ऊर्जा को भी सही रूप में संचारित करने का प्रयास करते हैं। इससे उन्‍हें अधिक आनंद, प्रेम और बुद्धिमत्‍ता की प्राप्ति होती है।
ज्ञान की खोज का मार्ग ही व्‍यक्ति को आध्‍यात्मिकता की ओर ले जाता है। एक आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति को ज्ञान और आत्‍म-खोज की भूख होती है। वे लगातार बेहतर व्‍यक्ति बनने का प्रयास करते रहते हैं। वे सकारात्‍मक लोगों के साथ रहता है और स्‍वयं भी सकारात्‍मकता ही फैलाता है। वे प्रेरणादयी पुस्‍तकों और शैक्षिक गतिविधियों में संलग्‍न रहता है। अगर सरल और सीधे शब्‍दों में कहा जाए तो आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति का अर्थ है कि लगातार बढ़ते रहना और बेहतर इनसान बनने के मार्ग पर चलते रहना। वह मानते हैं कि जीवन आत्‍म-खोज की एक प्रक्रिया है, तो अनवरत चलती रहती है।
समय की सीमाओं से मुक्ति आध्‍यात्मिक व्‍यक्ति न अतीत के बंधनों से बंधा रहता है और न ही वह भविष्‍य के स्‍वप्‍नलोक में रहता है। वह वर्तमान में रहता है। अभी इसी क्षण में रहना ही उसकी खूबी होती है। और मौजूदा पल में रहना ही वास्‍तव में आध्‍यात्मिक मार्ग पर चलने वाले व्‍यक्ति की पहचान होती है।
आध्‍यात्मिक जीवनशैली वास्‍तव में लगातार सीखते रहने, तरक्‍की करने और बेहतर बनने की यात्रा का ही दूसरा नाम है। इसमें आप दूसरों की मदद करने में कोताही नहीं करते। प्रेम करते हैं और प्रेम फैलाते हैं।

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